यह जो उस समय की सहज नैतिकता थी, उसका समाज में बड़ा सम्मान था।
2.
पर अमरीकी लिबरलिज़्म अपने समाज की सहज नैतिकता का एक धार्मिक आवरण नहीं स्वीकार पाता।
3.
यद्यपि भीष्म खुद धार्मिक थे और चाहते थे कि पांडवों की जय हो किंतु अपनी सहज नैतिकता की दृष्टि के कारण उन्होंने कौरवों का समर्थन किया।
4.
जीवन में सहज नैतिकता का महत्व, आध्यात्मिक नैतिकता से हो सकता है कुछ कम हो, किंतु वह इंसानी जीवन में मौलिक नीति के क्षेत्र में आ जाता है।
5.
हाँ आपकी राय यहाँ मैं गलत नहीं कह सकता क्योंकि बच्चे को बचाने के लिए कभी कभी पागल कुत्ते को भी हड्डी फेंकनी पड़ती है लेकिन ये सिर्फ आपद्धर्म है इसे सहज नैतिकता का दर्जा नहीं दिया जा सकता| बोटियाँ फेंकते रहिये और मौका आते ही (चुनाव का समय) इन पागल कुत्तों को गोली(सोचा समझा मतदान) मार दीजिये ताकि फिर अगले साल बच्चे (आम आदमी) को बचाने के लिए बोटी न खिलानी पड़े|